असहायों का रक्षक, दुष्टों का है दुश्मन असहायों का रक्षक, दुष्टों का है दुश्मन
बाजार में मची है लूट लिखा मिले दुकानों पर हमारे यहां है, भारी छूट बाजार में मची है लूट लिखा मिले दुकानों पर हमारे यहां है, भारी छूट
कविता लिखना भीवैज्ञानिक खोज सेकुछ कम नही है कविता लिखना भीवैज्ञानिक खोज सेकुछ कम नही है
तो समझिये बस निकट ही है सुख की भोर ! तो समझिये बस निकट ही है सुख की भोर !
बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा। बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा।
बातें हजार कर रहे हैं जानते हैं तुझसे प्यार कर रहे हैं। बातें हजार कर रहे हैं जानते हैं तुझसे प्यार कर रहे हैं।